कुंडली मिलान क्यों आवश्यक है?
भारतीय परिदृश्य में विवाह के समय कुंडली मिलान बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. यह कहना भी गलत नहीं होगा कि वैवाहिक संबंध कुंडली के माध्यम से ही तय होते हैं. अगर संबंधित युवक-युवती के ग्रह-नक्षत्र एक-दूसरे से मेल नहीं खाते तो अभिभावक विवाह करने का निर्णय तक त्याग देते हैं.
कैसे हमारे सौर मंडल के अनेक गृह?
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह हैं - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, युरेनस और नेप्चून। इनके अतिरिक्त तीन बौने ग्रह और हैं - सीरीस, प्लूटो और एरीस।
कुंडली में नाड़ी क्या होती है?
नाड़ी तीन प्रकार की होती है, आदि नाड़ी, मध्या नाड़ी तथा अन्त्य नाड़ी। गुण का मिलान करते वक्त यदि वर-वधू दोनों की नाड़ी आदि होने की स्थिति में तलाक या अलगाव की प्रबल आशंका बनती है तथा वर-वधू दोनों की नाड़ी मध्य या अन्त्य होने से वर-वधू में से किसी एक या दोनों की मृत्यु की आशंका पैदा होती है।
नाड़ी कैसे जाने?
कैसे करते हैं नाड़ी परीक्षण आमतौर पर पुरुषों के दायें हाथ की और स्त्रियों के बाएं हाथ की नाड़ी की गति देखी जाती है। हालांकि कभी कभी दोनों हाथों की नाड़ी देखने पर ही स्पष्ट जानकारी हासिल हो पाती है। हथेली से लगभग आधा इंच नीचे का स्थान छोड़कर नाड़ी का परीक्षण किया जाता है।
कुंडली मिलान कैसे सीखें?
गुण मिलान में हम वर व कन्या की राशि व नक्षत्र को आधार बनाकर विभिन्न आठ पहलुओं को अंक प्रदान करते हैं। इसी कारण इसे अष्टकूट मिलान भी कहते हैं। ये आठ कूट हैं वर्ण, वश्य, तारा, योनि, ग्रह मैत्री, गण, भकूट एवं नाड़ी। इससे हर कूट को क्रमशः 1 से लेकर 8 तक पाॅइंट दिये जाते हैं जिनका योग 36 हो जाता है।
क्या कुंडली मिलान में महत्वपूर्ण है?
पहले गुण को 1 अंक दिया जाता है, दूसरे गुण को 2 अंक दिए जाते हैं और इसी तरह कुल 36 की संख्या बनती है। कुंडली मिलान संख्या की तब अधिकतम संख्या के रूप में 36 के साथ गणना की जाती है। विवाह की सफलता का निर्धारण करने में कुंडली मिलान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।