ज्योतिष में भकूट दोष क्या होता है?
नाड़ी दोष के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के बाद आइए अब देखें कि भकूट दोष क्या होता है। यदि वर-वधू की कुंडलियों में चन्द्रमा परस्पर 6-8, 9-5 या 12-2 राशियों में स्थित हों तो भकूट मिलान के 0 अंक माने जाते हैं तथा इसे भकूट दोष माना जाता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि वर की जन्म कुंडली में चन्द्रमा मेष राशि में स्थित हैं।
वश्य दोष क्या है?
ज्योतिष विद्वान कुंडली मिलान के समय नाड़ी दोष बनने पर ऐसे लड़के तथा लड़की का विवाह करने से मना कर देते हैं। गुण मिलान की प्रक्रिया में आठ कूटों का मिलान किया जाता है जिसके कारण इसे अष्टकूट मिलान भी कहा जाता है। ये अष्ट कूट हैं, वर्ण, वश्य, तारा, योनी, ग्रह मैत्री, गण, भकूट और नाड़ी।
राक्षस गण के लोग कैसे होते है?
इन लोगों को अपने आस-पास मौजूद नकरात्मक शक्ति का तुरंत इसका अहसास हो जाता है। कई बार इन लोगों को यह शक्तियां दिखाई भी देती हैं, लेकिन इसी गण के प्रभाव से इनमें इतनी क्षमता भी आ जाती है कि वे इन शक्तियों से जल्दी ही भयभीत नहीं होते। राक्षस गण वाले लोग साहसी भी होते हैं तथा विपरीत परिस्थिति में भी घबराते नहीं हैं।
ग्रह मैत्री दोष क्या होता है?
स्वामी ग्रहों के अधिशत्रु होने पर शून्य अंक दिये जाते हैं तथा ऐसे विवाह को वर्जित किया जाता है। कुछ विद्वानों का कहना है कि अन्य गुण मिलने पर भी यदि ग्रह मैत्री नहीं मिली तो विवाह वर्जित कर देना चाहिए। इसका परिहार होने पर ही विवाह करना चाहिए। सद्भकूट होने पर ग्रह मैत्री का दोष नहीं होता, यही इसका परिहार है।